वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि की साढ़ेसाती या ढैया क्या होती है, कितने वर्ष की होती है और क्या प्रभाव व्यक्ति के जीवन में पड़ते है, आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी के पाठको के लिए ये जानकारी लेकर प्रस्तुत है| शनि ग्रह नवग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है| यह एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में ढाई वर्ष का समय लेता है| गोचर करते हुए शनि ग्रह किसी व्यक्ति की जन्मराशि या नाम राशि में स्थित हो तो वह राशि उससे अगली राशि और बारहवें स्थान वाली राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव होता है|
हिंदू धर्म में भगवान शनि को न्याय का देवता कहा जाता हैं| शनिदेव का न्याय चक्र हमेशा चलता रहता है| जैसा कि सभी जानते है की अच्छे या बुरे कर्मो पर व्यक्ति का जीवन निर्भर करता है| क्योंकि शनि देव व्यक्ति को कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं| कर्मो के अनुसार ही व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती या ढैया में अच्छे या बुरे प्रभाव देखने को मिलते हैं|
क्या होती है साढ़ेसाती?
साढ़ेसाती और ढैया शनि देव के न्याय चक्र का एक विधान है| जो हर व्यक्ति के जीवन में अच्छे या बुरे फल कर्मा अनुसार देने के लिए आता है| ज्योतिष के अनुसार शनि के साढ़ेसाती साढ़े सात वर्ष के लिए आती है और ढैया अढ़ाई वर्ष के लिए आती है इसीलिए इसे ढैया कहा जाता है| शास्त्रों में कहा गया है की शनि प्रत्येक राशि में घूमते है और अपना प्रभाव दिखाते है| तीन राशियों से होकर गुजरने में शनि को सात वर्ष छेः महीने का समय लगता है| भारतीय ज्योतिष के अनुसार इसे है साढ़ेसाती के नाम से जाना जाता है|
पुराणों के अनुसार शनि को सूर्य और छाया का पुत्र कहा गया है| शनि का रंग काला माना गया है| इन्हे दंडाधिकारी की उपाधि भी प्राप्त है|
साढ़ेसाती और ढैया के अशुभ प्रभाव से कैसे बचें?
भगवान सूर्य के पुत्र शनि देव को काले वस्त्र, काले तिल, सरसो का तेल बहुत प्रिय होता है| इन वस्तुओं को दान में देने से अतिशीग्र शनि देव प्रसन्न होते है|
पीपल के वृक्ष के नीचे सरसो के तेल का दीपक अगर व्यक्ति रोजाना जलाएं तो शनि की साढ़ेसाती या ढैया का प्रकोप कम होता है|
शनिवार के दिन काला तिल, काला कम्बल, काले उड़द की दाल, जूता, छतरी, सरसो के तेल इत्यादि वस्तुओ का एक एक करके दान करने से भी शनि के अशुभ फलों में कमी आती है|
शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने का विशेष विधान है, शनिवार के दिन हनुमान जी के समक्ष चमेली के तेल का दीपक शाम के समय जलाने से शनि के दुष्प्रभाव समाप्त होते है|